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लेखनी कहानी -09-Mar-2022 प्रतिलिपि हवेली में होली का हुरंगा

आज मैं सबसे पहले आप लोगों को बधाई देना चाहता हूं कि हम सबने इस प्रतिलिपि हवेली में जो धमाल मचा रखा है उसने प्रतिलिपि को हिलाकर रख दिया है । सब जगह इस हुड़दंग की चर्चा है । रोज दो से चार रिक्वेस्ट आ रही हैं इस धमाल में शामिल होने के लिए । विशेषकर महिलाओं की ओर से । ऐसा चुंबकीय आकर्षण पहले कभी देखने को नहीं मिला था । यह हम सबकी मेहनत का नतीजा है । लगे रहो सखा और सखियो । 😀😀
अब आगे 

सब लोगों को अतिथियों को चुनने को कह दिया गया । जब तक यह काम होता "तूफानी" टोली तूफान के साथ हाजिर हो गई । रसगुल्ले, पानी पूरी और न जाने क्या क्या लेकर आईं । इससे पहले कि वे खाद्य सामग्री परोसती, श्री ने उन्हें अपने पास बुला लिया । 

"जीजू" बुला रहे हैं , यह सोचकर ही सबके पंख लग गये । " उड़कर" आने लगीं सालियां । बुलबुल की तरह चहकने लगीं ।
ज्योति जी, शिखा जी, प्रिया जी, रितु जी , शबाना जी, अपनेश जी, नीलम जी, उमा जी, शिल्पा जी । सबकी सब आ गईं और उन्होंने श्री को घेर लिया । श्री उनके साथ हंसी ठिठोली करने लगे । श्री अपनी सालियों के लिए चांदी के वर्क में लिपटा हुआ पान लेकर आये थे । ये विशेष पान बनारस से मंगवाये थे । वही जो बच्चन साहब ने "डॉन" मूवी में खाकर गाना गाया था "छोरा गंगा किनारे वाला" । मजनूं पानवाला प्रसिद्ध है वहां पे । उसके यहां से मंगवाये थे । एक एक गिलौरियां सबको दे दी । सबने अपना मुंह फाड़ उसे खाने की कोशिश की मगर पान काफी बड़ा था । सब लोग झेंप गयीं ।


प्रिया जी  और रितु जी थोड़ी शैतानी दिमाग धारी हैं तो बोली "एक से हमारा क्या होगा, जीजू ? ये तो दांतो के बीच ही फंस जायेगा" । 

श्री ने हंसते हुए कहा " तो और लो ना । पहले ये वाला खाना फिर दूसरा लेना "। और श्री ने अपने हाथों से रितु जी और प्रिया जी का मुंह पूरा खोला और वह वह पान मुंह में पूरा ठूंस दिया । बाकी की सालियों ने भी पान जीजू के हाथ से ही खाये । क्योंकि मुंह इतना खुल ही नहीं रहा था । वैसे भी लड़कियां अपना मुंह चोंच की तरह थोड़ा ही खोलती हैं । ये तो मर्द लोग हैं जो भैंस की तरह जुगाली करते रहते हैं ।😀😀😀 

अचानक प्रिया जी और रितु जी ने "ओह माई गॉड" कहते हुए वहीं फर्श पर थूक दिया । सब जगह गंदा गंदा कर दिया । सब लोग आश्चर्य से इन दोनों को गौर से देखने लगे । 

"जीजू, ये क्या किया आपने ? आपसे तो ऐसी उम्मीद नहीं थी । क्यों किया आपने ऐसा" ? प्रिया जी गुस्से में बोलीं 

"बहुत उड़ रहीं थीं दोनों हवेली में । बड़े भैया (यानि मैं ) ने आप दोनों को शरारतें करते हुये देख लिया था । उन्होंने कहा कि इससे पहले कि तुम कुछ करो, पहले बाजी हम ही मार लेते हैं । इसलिए पान में नमक रख दिया था । कहो कैसी रही । " ।  श्री ने हंसते हंसते कहा ।.😀😀😀😀

रितु जी और प्रिया जी के गाल हलके गुस्से से लाल हो गए । नमक से नहीं रे बाबा , ठगे जाने से हुए । उन्हें उम्मीद नहीं थी कि श्री ऐसा करेंगे । वे तो मुझसे सतर्क थीं श्री से नहीं ।  मगर हम भी "जय वीरू" को पहचान गये थे । शिखा तो अभी छोटी सी थी, एकदम बच्ची । रोने ही लग गई । अनन्या जी ने उन्हें गोदी में लेकर चुप कराने की कोशिश की । उन्हें बच्ची कहने से वे और ज्यादा चिढ गईं । बिफर कर बोलीं "अब मैं बच्ची नहीं हूं । पूरे 20 साल की हूं" । 

श्री भी कम नहीं हैं बोले "बच्चा, यहां तो लोग 60- 60 साल के हैं । कुछ तो इससे भी ऊपर । उनके सामने तो तुम बच्ची ही हुई ना" । हंसी का फव्वारा छूट गया ।  और श्री कुछ कहते इससे पहले हमने सबको एक एक पेड़ा दे दिया और कहा "चलो , मुंह कड़वा हो गया होगा, ये पेड़ा खाओ। थोड़ा मीठा हो जाये" । 

शिखा जी, शबाना जी समेत ज्यादातर लड़कियों ने पेड़े ले लिये मगर बाकी ने संदेह की दृष्टि से देखते हुए कहा "सर, इनमें तो कुछ नहीं है ना" ? 
हमने इंकार में सिर हिलाते हुये कहा "नहीं" । 
इतने में सुषमा तोमर जी कहने लगीं "हरफनमौला जी हैं ये । इनका विश्वास मत करना" । उन्होंने मुस्कुरा कर ज्योति जी को कहा "ऐसा करो , तुम टेस्ट करके देखो" । 
ज्योति जी तमतमा गईं "मेरे पर ही एक्सपेरीमेंट्स क्यों ? मैं कोई फालतू हूँ क्या" ? 
"अरे तो इसमें इतना तमतमाने की क्या बात है ? कोई नहीं , ये शबाना जी करेंगी । ये तो "बोल्ड अवतार हैं । क्यों हैं ना" ? 

अब शबाना जी फंस गई । ना हां कह सकती थीं और ना ना ही कह सकती थीं । तो मरता क्या ना करता की तरह उन्होंने एक पेड़ा खाया । उनका मुंह अंदर से पूरा लाल हो गया था । होंठ भी लाल हो गए थे । सब लोग आश्चर्य चकित हो गये कि शबाना जी के मुंह में खून कैसे आ गया ? वो तो पुष्प लता जीं अनुभवी थीं बोलीं "अरे छोरियों, ये खून नहीं है ये तो रंग है । आज तो हरफनमौला कन्हैया बन कर खूब मसखरी कर रहे हैं । होली पर तो बनता है ना । चलो फेंको इन पेड़ों को और हम लोगों ने जो इतना सारा नाश्ता बनाया है उसे परोसो" । 

मर्दों की टोली में भी एक "छुटका" था । नाम अमित मोहन । कहने लगे "जी, मैंनें विशेष नाश्ता बनवाया है । मीनू तो कल ही छाप दिया था । करेले की खीर, अदरक का हलवा, लहसुन की रबड़ी, लाल मिर्च के लड्डू , नीम की कचौड़ी, धतूरे की चटनी के साथ । और भी बहुत कुछ है । कहो तो लगा दूं" ? 

शीला मैम बहुत देर से इस नौटंकी को देख रही थीं । यथा नाम तथा गुण । हमेशा शांत रहने वाली । लेकिन आज तो हम मर्दों की कारस्तानी देखकर उनकी पेशानी पर भी बल पड़ गए । उनके साथ उनकी पूरी टीम "मस्तानी" साथ हो गई । सबने मिलकर रितु जी के हाथ से सफेद रसगुल्लों का डोंगा ले लिया और हम सब मर्दों के मुंह में जबरन ठूंस दिया । 

मुझे तो पता था कि ये रसगुल्ले नहीं, सफेद मार्बल के पीस हैं । मगर बाकी को पता नहीं था । सूर्येन्दु जी, पेरी जी, विनय जी, अमित मोहन जी सबने जैसे ही दांत लगाया "तड़" की आवाज के साथ सबके एक दो दांत स्वर्ग सिधार गये । तब समझ आया कि माजरा क्या है । अब महिला खेमे में खुशी का माहौल था । तूफानी टीम भांगडा करने लगी । 

हेमलता जी को गोल्डन बैज कल.ही मिला था इसलिए वे बहुत प्रसन्न नजर आ रही थीं । आज बिल्कुल गुस्सा करने के मूड में नहीं थी इसलिए बोली "हरफनमौला , बहुत कर ली लीला । अब आगे बढ़ो नहीं तो ये होली अगली होली तक भी समाप्त नहीं होगी । हम जानते हैं कि तुमसे पार.पाना आसान नहीं हैं मगर ये लड़कियां मेरा लिहाज कर रहीं हैं । वरना तो ऐसा रगड़ेंगी कि कोई बचाने वाला भी नहीं होगा तुम्हें"  ? 

हमें खतरे का सायरन बजता दिखने लगा । हमने कहा "अब आगे बढ़ते हैं ,आई । आज हमने हमारी इस मस्तों की टीम को टाइटल दिये हैं । ये टाइटल हमने, अनन्या जी ने , प्रिया मैम , रितु मैम, अपनेश मैम, सुषमा तोमर मैम और भी दूसरी मैम ने मिलकर बनाये हैं । एक कोशिश की है । उम्मीद है सबको पसंद आयेंगे । कहो तो शुरू करें" ? 

आई ने हरी झंडी दे दी तो हमने एक एक करके नाम पुकारे और टाइटल उनके गले में लटका दिये । 

हेमलता मैम    मदर इंडिया 
पुष्प लता मैम   सर्वज्ञानी 
शीला शर्मा मैम   यथा नाम तथा गुण 
रीता गुप्ता मैम    मनमौजी 
अलका माथुर मैम  हम भी हैं जोश में 
सरस्वती देवी सखी  हार नहीं मानूंगी 
शशिकला मैम       दिल तो बच्चा है जी 

सुनंदा असवाल मैम    कलम की जादूगर 
सुषमा तोमर मैम        मस्तकलंदर 
नीलम गुप्ता मैम         हम किसी से कम नहीं 
उमा शर्मा मैम            छुपा रुस्तम 
शिल्पा मोदी मैम                बिंदास 
अपनेश मंजीत मैम      मनचली 

अनन्या जी                श्री ऐसो जिया में समाय गयो री 
ज्योति पांडे मैम           ड्रामा क्वीन 
शिखा मैम                  छोटा बच्चा जान के हमको ना .. 
विनीता मैम                हमसे है जमाना 
कोमल चावला मैम      कोमल, चाय ला 
शबाना परवीन मैम।     मिस 420 
जया नागर मैम            सर्वगुण सम्पन्न 
प्रिया कंबोज मैम          छप्पन छुरी 
रितु गोयल मैम             फुल नौटंकी 
मधु रत्तन मैम                जलेबी की तरह सीधी 


विनय शास्त्री सर         शब्दों के बाजीगर 
सूर्य नारायण पेरी सर    सदाबहार 
कुलदीप तोमर             खतरों के खिलाड़ी 
सूर्येन्दु सर                  हम हैं कमाल के 
रोहित मिश्र सर            हम हैं बेमिसाल 
सत्यम सिन्हा सर         एक बिहारी सब पे भारी 
अमित मोहन सर         जोशीला 
श्री                            मस्तमौला 

पिछले दिनों से आप सबके कमेंट के आधार पर मैं जो कुछ कयास लगा सका , उससे यह सब टाइटल दिये हैं । इनमें कोई भी टाइटल दुर्भावनापूर्ण नहीं दिये गये हैं । फिर भी यदि किसी को बुरा लगा हो तो मैं हृदय से क्षमा चाहता हूं । 🙏🙏🙏🙏 

टाइटल सुनकर एकदम से सन्नाटा सा छा गया । मगर उसके बाद सब लोगों ने जोरदार करतल ध्वनि से हमारा मान बढ़ाया । अगर किसी का टाइटल रह गया हो तो कमेंट में लिखना , उन्हें भी मिल जायेगा । 

हां, एक बात और । मैंने अपना कोई टाइटल नहीं दिया है । मैं अपना आकलन खुद नहीं कर सकता हूँ ना । इसलिए मैं खुद को कैसे टाइटल दे सकता हूँ । आप लोग फ्री हैं । कुछ भी टाइटल दे सकते हैं , जो मन में आवे । अगर मुझे टाइटल देना चाहें तो कमेंट करके दे सकते हैं । मुझे भी तो मेरी "मार्केट वैल्यू" पता चले ? 😀😀😀 

सब लोगों ने जी भरकर अल्पाहार लिया । मेन्यू तो कल बता ही दिया था ना । सबने कमेंट में लिखा हुआ है । खूब जी भरकर लीजिए । बस, इतना ध्यान रहे कि ओवर ईटिंग ना हो । 

नाश्ते के बाद सब लोग हॉल में रंगारंग कार्यक्रम के लिए वापस आ गए । सांस्कृतिक दल की मुखिया सुषमा जी और सुनंदा जी, विनीता जी ने कहा "आज के दिन हम लोग होली के गाने गायेंगे । वो भी फिल्मी । सबको कम से कम एक गाना गाना है । यानी कमेंट बॉक्स में एक गाना लिखना है । पर यह ध्यान रहे कि वह गाना पहले किसी और ने नहीं गाया हो । तो शुरू करें" ? 
सबने आनंद से टेबल ठोककर अपनी भावनाओं का इजहार किया । सुनंदा जी बोलीं "सबसे पहले "हरि" सर से शुरुआत होगी फिर श्री गायेंगे । उसके बाद क्रम से गाते चले जाएंगे । तो सर शुरु करें" । 

हमारे लिये तो समस्या हो गई । होली के इतने गाने आते हैं कि असमंजस में पड़े हुए हैं कि क्या गायें ? फिर अपना पसंदीदा गीत गाने लगे 

रंग बरसै भीगे चुनरवाली रंग बरसै 
हो रंग बरसै भीगै चुनरवाली, रंग बरसै 
हो पी नै मारी पिचकारी, मोरी भीगी अंगिया 
ओ रंग रसिया हो रंग रसिया  । 

पूरा गाना सुना डाला । समां बंध गया । अब श्री की बारी थी । उन्होंने अनन्या जी को टारगेट करते हुए गाना गाया 

आज ना छोडेंगे बस हमजोली, खेलेंगे हम होली 
अरे खेलेंगे हम होली । 
चाहे भीगे तेरी चुनरिया, चाहे भीगे रे चोली 
हो खेलेंगे हम होली 

बस, इसी तरह आप सब लोग कमेंट में अपना गाना लिखते चले जायें । यथासंभव गाना रिपीट ना हो, इसका ध्यान रखें । जितना भी लिख सकते हैं, उतना लिखें । 

शेष अगले अंक में 

हरिशंकर गोयल "हरि"
15.3.22 

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